यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) की परीक्षा को भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। लाखों छात्र हर साल इस परीक्षा में बैठते हैं, लेकिन सफलता केवल कुछ ही को मिलती है। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है 22 वर्षीय सुलोचना मीना की, जिन्होंने राजस्थान के एक छोटे से गांव से निकलकर सबसे कम उम्र की आईएएस अधिकारियों में जगह बनाई।
राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के आदलवाड़ा गांव की रहने वाली सुलोचना ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव में ही पूरी की। इसके बाद उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली का रुख किया। दिल्ली विश्वविद्यालय से बॉटनी (वनस्पति विज्ञान) में स्नातक करने के बाद, उन्होंने यूपीएससी की तैयारी शुरू की। सुलोचना ने अपनी तैयारी के दौरान रोजाना 8-9 घंटे पढ़ाई की। उन्होंने एनसीईआरटी की किताबों, मॉक टेस्ट और यूट्यूब व टेलीग्राम जैसे मुफ्त ऑनलाइन संसाधनों का भरपूर उपयोग किया।
सुलोचना की इस यात्रा को उनके पिता के सपने ने प्रेरित किया। उनके पिता चाहते थे कि सुलोचना एक आईएएस अधिकारी बनें। सुलोचना ने 2021 में पहली बार यूपीएससी परीक्षा दी और ऑल इंडिया रैंक (AIR) 415 हासिल की। उनकी इस सफलता ने न केवल उनके पिता का सपना साकार किया, बल्कि वह ग्रामीण क्षेत्रों की कई युवा लड़कियों के लिए एक आदर्श बन गईं।
सुलोचना मीना की कहानी यह साबित करती है कि अगर मेहनत और लगन से सपनों को पूरा करने का प्रयास किया जाए, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। उनकी यह उपलब्धि हर उस छात्र के लिए प्रेरणा है, जो यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा में सफलता प्राप्त करना चाहता है।
सुलोचना मीना की सफलता से मिलने वाली सीख:
डेडिकेशन: रोजाना अनुशासन के साथ पढ़ाई करें।
संसाधनों का सही उपयोग: एनसीईआरटी, मॉक टेस्ट और ऑनलाइन फ्री प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करें।
स्वप्न और संकल्प: अपने और अपने परिवार के सपनों को पूरा करने के लिए दृढ़संकल्पित रहें।
सुलोचना मीना ने साबित कर दिया कि मेहनत, सही रणनीति और समर्पण के बल पर किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। उनकी कहानी युवाओं को आगे बढ़ने और अपने सपनों को सच करने की प्रेरणा देती है।